बहुत कर चुके हम अत्याचार, नारी माँगती समान अधिकार। बहुत कर चुके हम अत्याचार, नारी माँगती समान अधिकार।
न वो आये, न उनका खत, न किसी पैगाम का अंदेशा... न वो आये, न उनका खत, न किसी पैगाम का अंदेशा...
न कुछ हम कहें ,न कुछ तुम कहो ये लम्हों से लम्हों की बात है, न कुछ हम कहें ,न कुछ तुम कहो ये लम्हों से लम्हों की बात है,
स्पर्श हो तुम ..... उस स्नेह का जो महसूस होता है किसी अपने के कंधे पर सिर रखने से स्पर्श हो तुम ..... उस स्नेह का जो महसूस होता है किसी अपने के कंधे पर...
यूं किसी के यहां चोरी करना अच्छी बात नहीं है, यूं किसी के यहां चोरी करना अच्छी बात नहीं है,